प्रोजेक्ट कार्य-1
समस्या कथन
किसी राष्ट्रीयकृत अथवा प्राइवेट बैंक की शाखा में जाकर बचत खाते में लगने वाले साधारण ब्याज के आगणन की जानकारी प्राप्त करना।
प्रस्तावना
जब हम अपने बचत खाते में धनराशि जमा करते हैं तो उस राशि को बैंक या तो जनसाधारण को लोन के रूप में देता है या सरकार उस राशि का प्रयोग सार्वजनिक कार्यों के लिए करती है। बैंक खाताधारकों के धन का प्रयोग करने के प्रतिफल में खाताधारक को एक निर्धारित दर से ब्याज प्रदान करते हैं। यह प्रक्रिया ठीक उसी प्रकार है, जब कोई व्यक्ति किसी महाजन या बैंकर से कुछ धन उधार लेता है। तो वह उधार लिया मूलधन निश्चित समय एवं ब्याज की अतिरिक्त राशि के साथ देता है। इस प्रकार, यह अतिरिक्त धन ही ब्याज है। मूलधन और ब्याज के योग को मिश्रधन कहते हैं। बैंक बचत खाते में जितने वर्ष, माह, दिन के लिए खाताधारकों की धनराशि को जमा रखता है, उसके अनुसार ब्याज की राशि खाताधारक के खाते में निश्चित समय-अन्तराल पर जमा करता है। बैंकों में यह एक साधारण प्रक्रिया है, जो सभी खाताधारकों को सामान्य रूप से प्रदान की जाती है।
पहले बैंक बचत खाते में जमा धनराशि के लिए ब्याज माह के हिसाब से प्रदान करते थे जिसकी गणना के लिए उसे वर्ष में बदलने के लिए 12 से भाग देना पड़ता था, लेकिन वर्तमान में बैंक प्रतिदिन के हिसाब से बचत खाते की शेष धनराशि पर ब्याज की गणना करते हैं जिसकी गणना के लिए दिनों को वर्ष में बदलने हेतु 365 से भाग देना पड़ता है। इस क्रिया में जिस दिन धन दिया जाता है, उसे छोड़ दिया जाता है और जिस दिन धन जमा किया जाता है, उसे सम्मिलित कर लिया जाता है। इस प्रकार बचत खाते में जमा धनराशि पर ब्याज की गणना निम्नलिखित सूत्र के माध्यम से की जाती है
वर्तमान में ब्याज की गणना बैंक कम्प्यूटर के माध्यम से करते हैं और त्रैमासिक रूप से ब्याज की धनराशि खाताधारक के खाते में क्रेडिट कर दी जाती है।
लक्ष्य, उद्देश्य एवं कार्य-प्रणाली
प्रस्तुत परियोजना कार्य का मुख्य उद्देश्य बैंकों द्वारा की जाने वाली ब्याज की गणना का मूल्यांकन कर उस विधि का अध्ययन करना है। इसका मुख्य लक्ष्य विद्यार्थियों को बैंक द्वारा दिए जाने वाले ब्याज आगणन की प्रक्रिया से अवगत कराना है। इस परियोजना कार्य के लक्ष्य एवं उद्देश्य की पूर्ति हेतु आनुभाविक शोध प्रणाली (Empirical Research Method) का प्रयोग किया जाता है।
बैंक की ब्याज नीति का निर्धारण
1 अप्रैल, 2010 से देश के करीब 62 करोड़ बचत खाताधारकों के लिए बैंक द्वारा एक नई शुरुआत की गयी। इस दिन से सभी खाताधारकों को बचत खाते में जमा राशि पर प्रतिदिन के हिसाब से ब्याज प्रदान किया जा रहा है। ब्याज की दर तो 4% ही रखी गयी, लेकिन नई गणना से ब्याज से प्राप्त होने वाली आय पर काफी फर्क पड़ा है।
इस नियम की घोषणा 21 अप्रैल, 2009 को वित्त वर्ष 2009-10 की वार्षिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ० डी० सुब्बाराव ने की थी, लेकिन बैंकों के शीर्ष संगठन इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) का कहना था कि रोजाना के आधार पर ब्याज की गणना तभी संभव है जब वाणिज्यिक बैंकों की सभी शाखाओं का कम्प्यूटरीकरण पूरा हो जाए। इसलिए सभी वाणिज्यिक बैंकों के बचत खातों पर ब्याज की गणना 1 अप्रैल, 2010 से प्रतिदिन के आधार पर करने का प्रस्ताव पारित किया
गया।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि बैंक चालू खाते में ओवरड्राफ्ट पर अपने ब्याज की गणना प्रतिदिन के आधार पर करते हैं, इसलिए बचत खाते में प्रतिदिन की गणना से ही खाताधारक को ब्याज दिया जाना चाहिए। वास्तव में चालू और बचत खाते बैंकों के लिए फंड जुटाने का सबसे सरल एवं सुलभ माध्यम हैं।बैंक द्वारा बचत खाते में की जाने वाली साधारण ब्याज की गणना
बैंक की पास बुक में से ली गयी प्रविष्टियों में ब्याज आगणन की प्रक्रिया का वर्णन निम्नलिखित हैअतः 1 जनवरी से 31 जनवरी तक कुल ब्याज = 14.465 +37260 = ₹ 51.725
इसी प्रकार फरवरी और मार्च माह के ब्याज की गणना कर तीनों माह के योग 162.96 अर्थात् 163 को खाते में समायोजित किया गया है।
ब्याज की गणना इस प्रकार संयुक्त रूप से भी की जा सकती है
प्रस्तुत परियोजना के माध्यम से हमने बैंक की शाखा में जाकर बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज की दर ज्ञात की तथा उसकी गणना के बारे में बैंक अधिकारियों से विस्तारपूर्वक चर्चा की। इसके अलावा उनके द्वारा बताई गई आगणन विधि से तीन माह की प्रविष्टियों पर दिए गए ब्याज की गणना की। बैंक की पासबुक में मुद्रित प्रविष्टियों के अनुसार सत्यापन कर हमने बचत खाते पर प्रतिदिन के आधार पर मिलने वाले ब्याज की धनराशि का आगणन करना सीखा और पासबुक में की गयी प्रविष्टियों का गहन अध्ययन किया। प्रस्तुत परियोजना कार्य से हमारे ज्ञान में वृद्धि होने के साथ-साथ हमें नवीन जानकारियाँ प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ।
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